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अब तक नहीं लगाए हमने / नईम

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अब तक नहीं लगाए हमने लेखे-जोखे,
अपनी सिफअत मुंशी नहीं, मुनीम नहीं है।

कालदेवता के आगे कब, कौन टिका है?
आप कह रहे बच्चू हमने खूब लिखा है।
लगा नहीं अबतक हमने कुछ किया-धरा हो-
लेखन केवल कुछ दस्ते या रीम नहीं है।

कौन खपाए माथा अपना पीछे मुड़कर,
बल रहते डैनों में जाना आगे उड़कर
जाग मछिंदर गोरख आया, मार मुझे आ-
बैल सरीखी छेड़ी कोई मुहीम नहीं है।

अपना देशकाल, अपनों की मुझे ख़बर है,
जैसी जब मिल गई उसीमें किया सबर है;
कह न सकोगे मुँह भरकर यह कभी कि ये तो
अपना याद मुदर्रिस वही नईम नहीं है।

अब तक नहीं लगाए हमने लेखे-जोखे,
अपनी सिफअत मुंशी नहीं, मुनीम नहीं है।