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अब तमाशा देखने वालों में हमसाया भी है / निश्तर ख़ानक़ाही

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इल्म किसको था कि तरसीले-हवा* रूक जाएगी
अगले मौसम तक मेरी नशवो-नुमा* रूक जाएगी

तू ही क्यों नादिम* है इतनी मेरे घर की आबरू
किसके सर पर ऐसी आँधी में रिदा* रुक जाएगी

अब तमाशा देखने वालों में हमसाया भी है
टूटती छत मेरे चिल्लाने से क्या रूक जाएगी

कल न होगा कोई इस बस्ती में मेरे मंतज़िर
कल मेरे तलुओं ही में आवाज़े-पा* रुक जाएगी

क्या तहफ़्फ़ज़* दे सकेगी मुझको बज़-ए-एहतियात
क्या दरीचे मूँद लेने से बला रुक जाएगी

1- तरसीले-हवा-- हवा की उपलब्धि

2- नशवो-नुमा--बढ़त

3- नादिम--लज्जित

4- रिदा--चादर

5- आवाज़े-पा--पदचाप

6- तहफ़्फ़ज़--सुरक्षा

7- बज़-ए-एहतियात--सावधानी का अंदाज़