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अब तो गहरा गई है रात चलो सो जाएँ / रविकांत अनमोल
Kavita Kosh से
अब तो गहरा गई है रात चलो सो जाएं
ख़ाब में होगी मुलाक़ात चलो सो जाएं
रात के साथ चलो ख़ाब-नगर चलते हैं
साथ तारों की है बारात चलो सो जाएं
रात-दिन एक ही होते हैं जुनूं में लेकिन
अब तो ऐसे नहीं हालात चलो सो जाएं
रात की बात कहेंगे जो ये परेशां गेसू
फिर से उट्ठेंगे सवालात चलो सो जाएं
नींद भी आज की दुनिया में बड़ी नेमत है
ख़ाब की जब मिले सौग़ात चलो सो जाएं
फिर से निकलेगी वही बात कभी बातों में
फिर बहक जाएंगे जज़्बात चलो सो जाएं