Last modified on 23 फ़रवरी 2012, at 05:55

अब तो यह भी नहीं रहा अहसास / जिगर मुरादाबादी

 अब तो यह भी नहीं रहा अहसास
दर्द होता है या नहीं होता

इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा<ref>बदनाम </ref>
आदमी काम का नहीं होता

हाय क्या हो गया तबीयत को
ग़म भी राहत-फ़ज़ा<ref>आनन्ददायक</ref>नहीं होता

वो हमारे क़रीब होते हैं
जब हमारा पता नहीं होता

दिल को क्या-क्या सुकून होता है
जब कोई आसरा नहीं होता

शब्दार्थ
<references/>