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अब तो सच बात बता दी जाये / ज्ञान प्रकाश पाण्डेय
Kavita Kosh से
अब तो सच बात बता दी जाये,
वो रिदा क्यों न हटा दी जाये
आँखो को मुट्ठियों में जकड़े है,
अब अँधेरे को सजा दी जाये।
गर है तस्वीर मुकम्मल करनी,
उरियाँ ख़्वाबों को क़बा दी जाये।
सुर्खी बनने का मजा ही कुछ है,
अब तो शोलों को हवा दी जाये।
सब्ज़ मंज़र बदल भी सकते हैं,
क्यों न ये बात बता दी जाये।
जिनके आने से बरकतें आयें,
उन फ़कीरों को सदा दी जाये।