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अब तो सुन लो पुकार ब्रज बसैया कन्हैया मेरे / बिन्दु जी
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अब तो सुन लो पुकार ब्रज बसैया कन्हैया मेरे।
हजारों अर्जियां दरख्वास्त पेश कर दी हैं।
उन्हीं में पापों कि मिसलें साथ धर दी हैं॥
हुजूर जल्द मुकदमों का तपसीहा कर दो,
तभी है मुंसिफी जब दास को रिहा कर दो।
हो सदा जय-जय कार करुणा कन्हैया मेरे॥
मैं जग समुद्र में पहिले ही डूबा हूँ मगर,
बहा रहे हैं ये दृग ‘बिन्दु’ दूसरा सागर।
भरोसा अब तो है तरने का उन्हीं के बल पर,
कि जिनके नाम ने तेरा दिए पत्थर जल पर।
कर दो पल भर में पार जीवन कि नैया खेवैया मेरे॥