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अब नहीं / स्वरांगी साने
Kavita Kosh से
तुमने कहा था मुझे परेशां करना बंद करो
मैंने अपने होने की ज़रा सी सरसराहट भी नहीं रखी तुम्हारे जीवन में
तुम्हारी हर बात मानना
मेरी पूजा में शामिल है
जैसे
साँस लेना जीने में।