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अब नियति हूँ / नंदकिशोर आचार्य

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मर जाऊँगा मैं किसी दिन
यह दुनिया भी
तब भी तुम रहोगे
और तुम्हारी आँख में
किरकिरी-सा ही सही
- न सही किसी मधुर सपने सा
रड़कता ही रहेगा वह दृश्य
जो तुम ने देखा है
यानि मैं
यानी यह दुनिया।

मैं जो अब तुम्हारी सृष्टि था
अब नियति हूँ।
(1981)