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अब नै सहबै कोनोॅ जुलुम हे पिया/ अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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अब नै सहबै कोनोॅ जुलुम हे पिया
तोरा संग-संग लड़बै ना,

हों जेलाॅे जैवें ना गोलियो खैवे ना
अब नै सहबै हमें जुलुम पिया ।

बरस साठवां बीती गेलै दुखवो नै घटलैं मोर
चित्थी-चित्थी लुंगा पर छै सपना लाल हिंगोर
आबेॅ रहवैं नहियें नैहरवा हे पिया
ससुरिया जैबैं ना ।

रोजे रोजे बढ़ी रैल्होॅ छै किस्म-किस्म रं रोग
जे पंडित पोथियो नै जानै ओकरै लागै भोग
लुटी खैलकै हमरे रे कमैया हे पिया
चुप केना केॅ रहवै ना।

के छेकै ऊ जें तोड़ै छै अखंड राज के सपना
जात धरम सें ऊपर छै एक सबल देश के सपना
जाति के फैलावै जें कुविचार हे पिया
ओकरा रौंदी ऐवै ना ।

ई ढ़ंचा केॅ बदलै खातिर करै विमल आह्वान
मिलिये केॅ करना छै साजन एक नया निर्माण
किरिया ई माता मांटी के हे पिया
सुराजोॅ के अर्थ बदलवै ना ।