Last modified on 26 मई 2016, at 23:25

अब नै सहबै हमें जुलुम हो पिया / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

अब नै सहबै हमें जुलुम हो पिया
तोरा संग संग लड़वै ना
हों जेलो जैवैं ना गोलियो खैवै ना
अब नै सहबै हमें जुलुम हो पिया
बरस चलीसा बीती गेलै दुखवो नै घटलैं मोर
चित्थी-चित्थी लू गा पर छै सपना लाल हिंगोर
आबेॅ रहबैं नहियें नैहरवा हो पिया
ससुररिया जैवैं ना

रोजे रोजे बढ़ी रैल्होॅ छै किस्म-किस्म रं रोग
जे पंडित पोथियो नै जानै ओकरै लागै भोग
लूटी खैलकै हमरे रे कमैया हो पिया
चुप केना केॅ रहबै ना

के छेकै ऊ जे तोड़ै छै अखंड राज राज के सपना
जात धरम सें ऊपर छै एक सबल देश के सपना
जाति के फैलाबै जे कुविचार हो पिया
ओकरा रौदीं ऐवैं ना

ई ढाँचा केॅ बदलै खातिर करै विमल आह्वान
मिलिये केॅ करना छै साजन एक नया निर्माण
किरिया ई माता माँटी के हो पिया
सुराजोॅ के अर्थ बदलवै ना