भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अब भी हूँ / लैंग्स्टन ह्यूज़ / उज्ज्वल भट्टाचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुझे डराया गया और कूटा गया.
मेरी उम्मीदें हवा में बिखर गईं.
बर्फ़ में मैं ठिठुरता रहा,
धूप ने मुझे सेंका,
लगता है दोनों ने मिलकर
कोशिश की कि मैं
हंसना छोड़ दूं, प्यार करना छोड़ दूं, जीना छोड़ दूं –
लेकिन मुझे परवाह नहीं !
मैं यहां हूं.

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य

लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
                   Langston Hughes
                       I'm still here

I've been scared and battered.
My hopes the wind done scattered.
Snow has friz me,
Sun has baked me,
Looks like between 'em they done
Tried to make me
Stop laughin', stop lovin', stop livin' —
But I don't care!
I'm still here!