अब मेरा मुल्क किसी तौर न तोड़ा जाए
आओ मिल जुल के इसे प्यार से जोड़ा जाए
नफ़रतों से तो किसी क़ौम ने पाई न शिफ़ा
अपने एहसास-ए-मोहब्बत को निचोड़ा जाए
फ़ैसले इसके हमें रास न आए अब तक
अब कोई काम सियासत पे न छोड़ा जाए
अब् सवालों में उलझने का नहीं वक़्त रहा
सा'अते हल के लिए ख़ुद को झिंझोड़ा जाए
गर बचाना है फ़सादों से घर अपना हमको
बात के रुख़ को ग़लत सिम्त न मोड़ा जाए