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अब लहू में मिरे वो रवानी नहीं / कुमार नयन
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अब लहू में मिरे वो रवानी नहीं
मेरी आंखों में पहले सा पानी नहीं।
सब मुझे देख कर फेर लेते हैं मुंह
मेरे चेहरे पे कोई कहानी नहीं।
तुम भी मजबूर थे हम भी मजबूर थे
की किसी ने कोई मेहरबानी नहीं।
आखिरी क़तरा भी अश्क़ का बह गया
अब मिरे पास तेरी निशानी नहीं।
ज़हर का घूंट उसका मुक़द्दर नहीं
वो तो मीरा है मीरा दीवानी नहीं।
जाओ बेख़ौफ़ होकर महब्बत करो
इस ज़माने में राजा या रानी नहीं।
जान देकर करो जान लेने की बात
प्यार की गुफ़्तगू मुंहज़बानी नहीं।