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अब लोग नफरतों का व्यापार कर रहे हैं / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
अब लोग नफरतों का व्यापार कर रहे हैं।
सच्चे परोपकारी मानव कहाँ बचे हैं॥
मत बात करो उनकी पूजें जो दुश्मनों को
विश्वास नहीं उनका दिल में कलुष भरे हैं॥
जो देशभक्त सैनिक रक्षा करें वतन की
कुछ लोग हैं कि जिनकी नज़रों में वे गड़े हैं॥
सागर में डूब जाते हैं पोत ज्वार पा कर
लहरों की श्रृंखलाओं से लोग सब डरे हैं॥
ताकत महान होती डरते हैं सब इसी से
तूफ़ान जब भी आया सारे शज़र झुके हैं॥
घनश्याम द्वार तेरे हैं भक्त तेरे आये
पायें दरश तुम्हारा जिद पर इसी अड़े हैं॥
आकर ज़रा सँभालो भक्तों को श्यामसुंदर
सब त्याग मोह माया दर पर तेरे पड़े हैं॥