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अब सुलगती ज़िन्दगी के नाम अंगारे लिखो / विनोद तिवारी
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अब सुलगती ज़िन्दगी के नाम अंगारे लिखो
दोस्तो, आओ सड़क पर और कुछ नारे लिखो
बाग़ में अपने उगाना चाहते हो गर गुलाब
सुर्ख़ सियाही से किसी मौसम को ख़त प्यारे लिखो
तीरगी में रास्तों की खोज करना व्यर्थ है
रात की किस्मत में कुछ रंगीन भुनसारे लिखो
नागरिक सड़कों पे यूँ बेकार फिरते ही नहीं
इस कहानी में इन्हें तुम सिर्फ़ बंजारे लिखो