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अब स्वतंत्र हैं, सब स्वतंत्र हैं / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
हम सब बच्चे भी स्वतंत्र हैं
चाहे कुछ भी कर सकते
सागर के तल में जा सकते
ऊँचे से ऊँचा उड़ सकते
अपने नन्हें पाँवों से चल
विश्व भ्रमण भी तो कर सकते
दुखियों की सेवा कर सकते
दान किसी को भी दे सकते
मंदिर या मस्जिद में जायें
दुनियाँ वाले रोक न सकते
सदियों में पायी स्वतंत्रता
खोकर कुछ पायी स्वतंत्रता
प्राणों के बदले में आई
रक्त बहाकर ली स्वतंत्रता
इसका मूल्य समझना होगा
त्याग देश हित करना होगा
राष्ट्र प्रेम को समझ सके हम
राष्ट्र धर्म अपनाना होगा