अभिमन्यु / केदारनाथ मिश्र 'प्रभात'
अये बलवीर अग्नि के लाल!
अये कौरव-कुल-काल-कराल!
अये शंकर के तृतिय-नयन!
अये अंबुधि के गुरु-गर्जन!
अये उद्धेलित बड़वानल!
अये प्राणांतक नाश-गरल!
अये प्रज्वलित-रक्त-रवि-बाल!
अये बलवीर अग्नि के लाल!
अये बादल के प्रलय-निनाद!
अये करि के प्रचंड-उन्माद!
अये नन्दन-वन के तूफ़ान!
अये यौवन के विप्लव-गान!
अये विध्वंस-चिता की ज्वाल!
अये बलवीर अग्नि के लाल!
क्रान्ति की चिनगारी अनमोल!
उत्थलित-सागर के कल्लोल!
सूर्य की सुधा, चंद्र की आग!
अये विष के अनुपम-अनुराग!
शुभ्र-शोभन-गर्वोन्नत-भाल!
अये बलवीर अग्नि के लाल!
प्रलय के अये अरुण-उल्लास!
समर्पण के खूनी-इतिहास!
वीरता के ज़हरीले-हास!
अये दुर्जय! दौर्दण्ड-विनाश!
अये दुर्दान्त-विकट-भूचाल!
अये बलवीर अग्नि के लाल!
उतर फिर भूपर राजकुमार!
कठिन यह चक्रव्यूह विदार!
सृतिष्ट का प्रलय, प्रलय की सृष्टि!
अनवरत विष-बाणों की वृष्टि!
अये अर्जुन के अनुपम-लाल!
अये कौरव-कुल-काल-कराल!
8.1.29