भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अभी आँखों की शमऐं जल रही हैं प्यार ज़िन्दा है / अनवर जलालपुरी
Kavita Kosh से
अभी आँखों की शमाऐं जल रही हैं प्यार ज़िन्दा है
अभी मायूस मत होना अभी बीमार ज़िन्दा है
हज़ारों ज़ख्म खाकर भी मैं ज़ालिम के मुक़ाबिल हूँ
खुदा का शुक्र है अब तक दिले खुद्दार ज़िन्दा है
कोई बैयत तलब बुज़दिल को जाकर ये ख़बर कर दे
कि मैं ज़िन्दा हूँ जब तक जुर्रते इन्कार ज़िन्दा है
सलीब-व-हिजरतो बनबास सब मेरे ही क़िस्से हैं
मेरे ख़्वाबों में अब भी आतशी गुलज़ार ज़िन्दा है
यहाँ मरने का मतलब सिर्फ पैराहन बदल देना
यहाँ इस पार जो डूबे वही उस पार ज़िन्दा हैं