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अभी खुश थे अचानक हो गया क्या! / विष्णु सक्सेना
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अभी खुश थे अचानक हो गया क्या!
किसी की बात से कुछ दिल दुखा क्या?
मुसलसल इतने आँसू बह रहे हैं
तुम्हारी आँख में कुछ गिर पड़ा क्या?
बनेंगीं फूल तो बिखरेगीं कलियाँ,
यही है ज़िन्दगी का फलसफा क्या?
मेरे दिल से धुंआ-सा उठ रहा है
बताओ सच तुम्हारा दिल जला क्या?
मेरी हालत पर तुम क्यूँ हंस रहे हो
मुझे समझा है तुमने चुटकला क्या?
लगायें दिल तो रोएँ ज़िंदगी भर
कोई समझाए है ये मसअला क्या?
खुदा ने आसरा तुमको दिया है
मुझे तुम दे सकोगे आसरा क्या?
यूँ सारी उम्र तुम रोते रहे हो
तुम्हारी आँख से मैं भी बहा क्या?
किया था इश्क़ पर हैं हाथ खाली
दिया बिन तेल के जलता रहा क्या?