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अभी नहीं तो कभी न होगा / कैलाश झा 'किंकर'
Kavita Kosh से
अभी नहीं तो कभी न होगा
मिसाल ताज़ा-तरीन होगा।
हजार कोशिश करे ज़माना
अदब बिना क्या ज़हीन होगा।
सफ़र मुसलसल रहे न जारी
थकान से मुँह मलीन होगा।
झलक सकेगा बदन तुम्हारा
बदन का कपड़ा महीन होगा।
बुरी नज़र ग़र रखेगी दुनिया
हसीन पर्दानशीन होगा।