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अभी न पर्दा गिराओ / गुलज़ार
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					अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो कि दास्ताँ आगे और भी है 
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो 
अभी तो टूटी है कच्ची मिट्टी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं 
अभी तो किरदार ही बुझे है, 
अभी सुलगते हैं रूह के ग़म 
अभी धड़कतें है दर्द दिल के 
अभी तो एहसास जी रहा है 
यह लौ बचा लो जो थक के किरदार की हथेली से गिर पड़ी है 
यह लौ बचा लो यहीं से उठेगी जुस्तजू फिर बगुला बन कर 
यहीं से उठेगा कोई किरदार फिर इसी रोशनी को ले कर 
कहीं तो अंजाम-ए-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे 
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो
	
	