अभी बन्द हूँ
पलकों के
ज़िरह बख़्तर में
अभी और करना है
इंतज़ार
कुछ दिन बाद
मेरी सांसों से
तर-ब-तर होंगी
सांसे तुम्हारी
अभी बाकी है
आषाढ़ की बरखा
अभी धंसना है
पानी को खेतों में
अभी कुछ दूर
साथ चलेगी मेरी खुशबू
चरागाहों तक॥
अभी बन्द हूँ
पलकों के
ज़िरह बख़्तर में
अभी और करना है
इंतज़ार
कुछ दिन बाद
मेरी सांसों से
तर-ब-तर होंगी
सांसे तुम्हारी
अभी बाकी है
आषाढ़ की बरखा
अभी धंसना है
पानी को खेतों में
अभी कुछ दूर
साथ चलेगी मेरी खुशबू
चरागाहों तक॥