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अमंग देई / अरविन्द पासवान

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इतनी जल्दी क्या पड़ी थी
संसार को अलविदा कहने की
अमंग देई

अभी तो
आपके पति ने आपसे नेह भी नहीं जोड़ा था
अभी तो
आपकी बेटी गुड़िया भी नहीं पहचानती
अभी तो
बहुत-से सपने पूरे करने थे आपको
इतनी जल्दी भी क्या पड़ी थी

अमंग देई
आपके जाने पर
आपके अधूरे सपने पर
राज्य के मुख्य-सेवक काफी परेशान हैं
देश के प्रधान-सेवक बहुत दुखी हैं, चिंतित हैं
आपके दुख से द्रवित होकर
उन्होंने बहुत सारी योजनाएँ घोषित की हैं
घोषित किया है कि--
शहरों को स्मार्ट शहर बनाना है
आमजन को सुविधाएँ तमाम आसानी से उपलब्ध कराना है
घोषित किया है कि--
सांस्कृतिक मूल्यों पर
देश की गरिमा को फिर से स्थापित करना है
गाय, गंगा और गीता बचाना है

अब आप ही बताइये अमंग देई
सेवक
पहले मूल्यों की चिंता करें
या आपकी

देश को अभी चाँद का सफर करना है
लगाना है ग्रहों के चक्कर
हासिल करना है बहुत सारी जानकारियाँ
अन्तरिक्ष की

क्या ऐसे समय में आपका जाना अच्छा हुआ?

अब देखिये न अमंग देई
अपने कंधों पर मुर्दा सभ्यता का भार लिए आपके पति दाना माँझी
ढो रहे आपको पैदल
अपनी अबोध बेटी के साथ
जिसका हाल अच्छा नहीं है

कुछ पल तो ठहर जातीं आप
बेटी के लिए

बहुत दूर है कालाहांडी का मेलघरा
बेटी सहित दाना माँझी को
अभी मीलों सफर तय करना बाकी है अमंग देई

यह अलग बात है अमंग देई कि
हमारा शहर अभी आपकी तरह मुर्दा नहीं हुआ है
वह इतना संवेदनशील ज़रूर है कि
अपने एंडरॉएड स्मार्टफोन के 13 मेगापिक्सल कैमरे से
आपकी तस्वीर विभिन्न पोजों में खींचकर
फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर पोस्ट कर सकता है
कर सकता है ईमेल समाचार पत्रों को
फैला सकता है ख़बर पूरी दुनिया में
इंटरनेट के जाल से

अमंग देई
शहर का कोई अदना-सा कवि
आप पर कविता लिखकर
गाकर मरसिया
सहानुभूति पा सकता है
वह कह सकता है कि हम
बेबसों की जुबान है
साबित भी कर सकता है कि हम
मुर्दा नहीं हैं