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अमन की बातें न कर तू / आनंद कुमार द्विवेदी
Kavita Kosh से
अमन की बातें न कर तू, भले चिंगारी न देख
पूरा गुलशन देख भाई, एक ही क्यारी न देख
नज़र में मंज़िल है तो फिर, राह दुश्वारी न देख
हौसले भी देख अपने, सिर्फ लाचारी न देख
मशवरा करके कभी तूफ़ान भी आये हैं क्या
बाजुओं पर भी यकीं कर, पूरी तैयारी न देख
ऐ मेरे शायर हक़े-माशूक़ की खातिर ही लड़
इल्तज़ा है वक़्त की तू खौफ़ सरकारी न देख
आग भरदे ग़ज़ल में, अशआर को बारूद कर
भूल जा काली घटा अब आँख कजरारी न देख
देखना ही ख्वाब हो तो जुल्म से लड़ने के देख
अपनी दुनिया खुद बदल ‘आनंद’ की बारी न देख