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अमर तिरंगा आसमान में / पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

अमर तिरंगा आसमान में, जब-जब लहराता है।
हमें शहीदों की गाथाएँ, तब-तब याद दिलाता है॥
इसे करों में लेकर अपने, गली-गली में घूमे थे।
और सलामी देकर इसको, फाँसी फंदा चूमे थे॥
देश हेतु बलिदान हुए जो, उनको अमर बनाता है।
अमर तिरंगा आसमान में, जब-जब लहराता है॥
शौर्य शांति खुशहाली वाली, सम्मिलित एक कहानी है।
लिखी गई थी जो शोणित से, सुनिए बहुत पुरानी है॥
जान गवाँकर वीर बाँकुरा, हिमगिरि तक पहुँचाता है।
अमर तिरंगा आसमान में, जब-जब लहराता है॥
ऐसा आओ संकल्प करें, सदा उच्च ही रखना है।
इसकी शान के खातिर हमको, त्याग प्राण भी करना है॥
राह शहीदों वाली चलना, 'पूतू' यही सिखाता है।
अमर तिरंगा आसमान में, जब-जब लहराता है॥