भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अमर बन ! / भारत यायावर
Kavita Kosh से
सब ज़िन्दा हैं और रहेंगे ।
लोग चिल्लाते रहते हैं
कि मार दिया
सुकरात को मार दिया
ईसा को मार दिया
गांधी को मार दिया !
भला कौन मार सकता है
अमर है वह चेतना
अमर है वह वाणी
तो अमर है अस्तित्व!
जो मरा हुआ है
वह क्या मारेगा
लेकिन डर-डर कर जीने वाला
मर-मर कर जीता है
स-मर में अ-मर कर
अजर-अमर बन !