भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अमर रहेगा नाम / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


अमर रहेगा नाम

प्राण दिये पर कर दी दुश्मन
 की कोशिश नाकाम
ओ सीमा के सजग प्रहरियों
शत् शत् तुम्हें प्रणाम


दिया कारगिल युद्ध क्षेत्र में
जो तुमने बलिदान
युगों-युगों तक याद रखेगा
उसको हिन्दुस्तान
छक्के छुडा दिये दुश्मन के
जीना किया हराम


धन्य धन्य पितु मातु तुम्हारे
धन्य तुम्हारा गाँव
जिनकी गोदी में पले बढ़े
तुमसे ललना के पाँव
जब तक सूरज चाँद रहेगा
अमर रहेगा नाम


 पड़ा भागना पाक फौज को
लेकर अपनी जान
सौ के ऊपर पड़ा हिन्द का
 भारी एक जवान
अपने कर्मों का नवाज जी
भोग गये परिणाम।