अमीर कहता है इक जलतरंग है दुनिया / सर्वत एम जमाल
अमीर कहता है इक जलतरंग है दुनिया
गरीब कहते हैं क्यों हम पे तंग है दुनिया
घना अँधेरा, कोई दर न कोई रोशनदान
हमारे वास्ते शायद सुरंग है दुनिया
बस एक हम हैं जो तन्हाई के सहारे हैं
तुम्हारा क्या है, तुम्हारे तो संग है दुनिया
कदम कदम पे ही समझौते करने पड़ते हैं
निजात किस को मिली है, दबंग है दुनिया
वो कह रहे हैं कि दुनिया का मोह छोड़ो भी
मैं कह रहा हूँ कि जीवन का अंग है दुनिया
अजीब लोग हैं ख्वाहिश तो देखिए इनकी
हैं पाँव कब्र में लेकिन उमंग है दुनिया
अगर है सब्र तो नेमत लगेगी दुनिया भी
नहीं है सब्र अगर फिर तो जंग है दुनिया
इन्हें मिटाने की कोशिश में लोग हैं लेकिन
गरीब आज भी जिंदा हैं, दंग है दुनिया