अमृतसर था गाम राम नै काढ़ दिये घर तै / मेहर सिंह
वार्ता- राजा कहता है कि भाई तुम कौन हो, तो दोनों भाई क्या जवाब देते हैं-
अमृतसर था गाम राम नै काढ़ दिये घर तै।टेक
अम्ब पिता अम्बली माता जिन के हम दो सरवर नीर
जोगीया लबेस करकै दरबारां मैं आया फकीर
भिक्षा का सवाल किया मांग लई जागीर
साधु जी नै चालै कर दिये लते कपड़े लिए तार
फिर ईश्वर की सख्त निगाह हुई हम दिये धरती कै मार
चार प्राणी अमृतसर तै बिल्कुल कर दिये बाहर
मांग लिया म्हारा राज ताज पिता नै तार दिया सिर तै।
चार प्राणी अमृतसर में भूखे और तिसाऐ थे
एक महीना सात पहर मैं उज्जैन शहर मैं आऐ थे
भठियारी नै दया कर कै उसनै नौकर लाए थे
माता को डिगाणा चाहा सौदागर आया था एक
इस औरत नै साथ करदे थेलियां की लाद्यूं ठेक
भठियारी से कहने लाग्या तुम ही राखो मेरी टेक
भठियारी नै करली थाप आप घर भर लिया धन जर तै।
पत्ते लेकै आया पिता कैसी बुरी बणी पाई
भठियारी से कहणे लाग्या कहां गई बच्चों की माई
मात पिता का जब नाम सुण्या रोवण लागे दोनूं भाई
भठियारी ने धक्के दे कै सरा से निकाल दिये
फेर चम्बल उपर आकै उसनै रोप कमाल दिये
छोड़ नीर नै चाले वापिस पिता बैह कै चाल दिये
राखैंगे आदर मान ध्यान फेर लगा दिया हर तै।
फेर ईश्वर की निगाह फिरगी आदमी जो भेजे खास
एक किनारै कटठे कर लिये होगी थी जीवन की आस
धोबी धोबिण बूझण लागे हम बोले हुआ सत्यानाश
दोनूआं नै गोदी ठा कै धोबी धोबिन ल्याऐ थे
अपणे केसी मेर कर कै पढ़ाए लिखाऐ थे
समझण जोगे जवान हुए जब टुकड़ै सिर करवाऐ थे
जो कुछ बीती म्हारी साथ बात बता दी धुर तै।
ईब आपकी गुलामी कर कै नौकरी करैं सुबह शाम
जिन्दगी का गुजारा करते दो रोटी का करते काम
इस तरियां हम लागे नौकर खरी मजूरी चोखे दाम
जहाज पै सन्तरी थे बता कुण सी गलती म्हारी थी
जहाज पर तै आए वापिस जब तक माया सारी थी
ईब दरबारां मैं मारे ज्यागें या कर्मां मैं हारी थी
कह मेहर सिंह जाट बात नै कैह सै लय सुर तै।