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अमृता / अंशु हर्ष
Kavita Kosh से
मुझे तुम मिले
तुम्हारी नज़रों से एक नयी दुनियाँ देखी
वो दुनियाँ जिसने मुझे ज़िन्दगी के
नए मायने बताये
एक रास्ते पर चल निकली मैं
जहाँ मुझे किसी के साथ की ज़रूरत नहीं
सच कहूँ तो तुम्हारी भी नहीं
क्योंकि मुझे
तुम्हारे शब्दों के सहारे
ये सफ़र तय करना है
और जानती हूँ मैं ये सफ़र मुझे
जीवन की उन गहराइयों में ले जायगा
जिसकी मुझे तलाश थी।