भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अमेरिकीकरण / विष्णु नागर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं कभी अमेरिका नहीं गया, बुलाया भी नहीं गया
इसकी संभावना कम है कि बुलाया जाऊं
मेरे बच्‍चों की भी फिलहाल वहां जाने या बसने की
कोई योजना नहीं है
मेरा कोई नाते-रिश्‍तेदार-दोस्‍त भी संयोग से वहां नहीं है
तब भी मैं अमेरिका नजर से सारी दुनिया को देखता हूं
यहां तक कि खुद अपने मुल्‍क को भी
मुझे अमेरिकी हित, अंतर्राष्‍ट्रीय हित लगते हैं
कई बार लगता है कि अमेरिका के साथ अन्‍याय हो रहा है
जिसे और कोई नहीं तो इतिहास जरूर दुरूस्‍त करेगा
बल्कि जब नोम चोमस्‍की अपनी सरकार की नीतियों का
कड़ा विरोध करते हैं
तो मुझे लगता है कि एक अमेरिकी इस तरह अपने देश के साथ
ज्‍यादती कर रहा है
क्‍योंकि यह आदमी मेरे देश का होता तो
'राष्‍ट्रवादी' उसे खल्‍लास कर देते

मुझे तो कभी-कभी यह भी लगने लगता है कि मेरा रंग गोरा है
मैं जार्ज बुश को राष्‍ट्रपति कहते हुए यह नहीं सोचता कि
सौभाग्‍य से वे मेरे राष्‍ट्रपति नहीं है

क्‍या मैं इसलिए ऐसा हो चुका हूं कि मैं अमेरिकी अखबारों में छपे लेख
और खबरें पढ़ता हूं
'टाइम' और 'न्‍यूजवीक' पढ़ता हूं, 'बीबीसी' और 'सीएनएन' देखता हूं
अपनी सरकार अपने मीडिया को उसके आगे नतशिर देखता हूं
या मुझे उम्‍मीद है कि मेरे वर्ग के दूसरे बच्‍चों की तरह
किसी दिन मेरे बच्‍चे भी अमेरिका में बस जाएंगे
और मुझे दस साल का अमेरिकी वीजा मिल जाएगा

बिना अमेरिकी कपड़ा पहने, बिना अमेरिकी खाना खाये
मैं इतना ज्‍यादा अमेरिकी बन चुका हूं कि
जब कभी दुनिया में कहीं भी अमेरिकी हितों को चोट पहुंचती है
तो मुझे बुरा लगता है
जिस बात पर अमेरिकी सरकार को गुस्‍सा आता है मुझे भी आता है
जब अमेरिकी दुविधा से गुजरते हैं तो मैं भी गुजरता हूं

मैं सद्दाम को फांसी देने से इसलिए परेशान नहीं हुआ
क्‍योंकि अमेरिका यही चाहता था
मैं फिदेल कास्‍त्रो की मौत का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं
क्‍योंकि अमेरिका भी यही कर रहा है
ह्यगो शावेज मुझे इसलिए अच्‍छे नहीं लगते
क्‍योंकि अमेरिका उन्‍हें अच्‍छा नहीं मानता
मैं इस्‍त्राइल के साथ इसलिए हूं कि वह अमेरिका के साथ है
मुझे वे सब दयनीय, समय से पिछड़े, गए-बीते लगते हैं
जो अमेरिका के साथ नहीं है
और ग्‍लोबलाइजेशन का विरोध करते हैं

हालांकि अमेरिका मेरे देश के हितों के खिलाफ भी अकसर जाता है
लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए है कि मेरे देश के शासक
पूरे मन से अमेरिका के साथ नहीं है
हालांकि मैं जब अमेरिकी नीतियों के साथ नहीं भी होता हूं
तब भी मुझे लगता है कि ये मेरे देश की सरकार की ही
गलत नीतियां हैं
इसलिए इनका मुझे विरोध करना चाहिए

जब अमेरिका अंतरिक्ष में घातक हथियार स्‍थापित करता है या इराक पर
हमला करता है
या ग्‍लोबल वार्मिंग पर टस से मस नहीं होता
तो भी मुझे लगता है कि मेरे अमेरिका को ज्‍यादा मानवीय होना चाहिए
उसे ऐसा नहीं करना चाहिए, ताकि मैं उसे ज्‍यादा प्‍यार कर सकूं
हालांकि मैं तो उसे वैसे भी और ज्‍यादा प्‍यार करना चाहता हूं

यहां तक कि अमेरिका के विरूद्ध प्रदर्शनों में शामिल होने
और अमेरिका विरोधी के रूप में
अपनी शिनाख्‍त किये जाने पर भी मैं महसूस करता हूं
क्‍योंकि अमेरिका है इसलिए विरोध है

जब कभी मुझे लगता है कि अमेरिका पूरी दुनिया के लिए खतरा है
तो भी मैं इस खतरे को
एक सच्‍चे अमेरिकी की तरह महसूस करता हूं

और जब कभी मुझे यह लगता है कि अमेरिका बर्बर है
तब मैं अपने से पूछता हूं कि आखिर मैं अमेरिकी क्‍यों हूं
और कुछ देर बाद यह सोचकर मुस्‍कुरा पड़ता हूं कि
मेरे पास इसका विकल्‍प भी क्‍या है!