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अमे महियारा रे गोकुल गाम ना / गुजराती लोक गरबा
Kavita Kosh से
अमे महियारा रे गोकूळ गाम ना,
म्हारे नहीं वेचवा ने जावा ...... महियारा रे गोकूळ गाम ना
अमे महियारा रे गोकूळ गाम ना.
मथुरा नि वाट महि वेचवा ने निसरी,
नटखट ऐ नंदकिशोर मांगे छे दाळजी,
म्हारे दाळ देवा ने लेवा ... महियारा रे गोकूळ गाम ना,
अमे महियारा रे गोकूळ गाम ना.
मावडी जसोदा जी कानजी ने वारो,
दुखड़ा झीले हज़ार नंदजी नो लालो,
म्हारे दुःख सहवा ने कहवा............. महियारा रे गोकूळ गाम ना,
अमे महियारा रे गोकूळ गाम ना.
जमना ने तीरे कानो वासली वगाडतो,
भुलावे भान शान ऊंघ थी जगाडतो,
म्हारे सखी जोवा ने जावा ...... महियारा रे गोकूळ गाम ना,
अमे महियारा रे गोकूळ गाम ना.