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अम्बर पे सजा / ऋचा
Kavita Kosh से
अम्बर पर सजा
स्वर्ण कलश स्वर्ण
किरण बिखराता है
किरणों की छुअन से
अचला का रंग स्वर्णिम
हो जाता है
लजाती-सी अचला पर
गुलमोहर रक्तिम पुष्प
बरसाता है
पेड़ो से फड़फड़ाते
जोड़े सुआ के आकाश को
हरा कर जाता है
तितलियाँ बैठी फूलों पे
जैसे तितलियों का रंग
फूलों में समा जाता है
एक सुंदर प्रभात
हृदय में जीवन से
मोह जगा जाता है।