अम्मा के व्रत-उपास / पंख बिखरे रेत पर / कुमार रवींद्र

पता नहीं कब की हैं बातें
  अम्मा के व्रत-उपास
 करवा-नवरातें
 
नखत-छिपे
तुलसी पर रोज़ दियाबाती
पुरखों की पोथी में
सपनों की पाती
 
पीपल के आसपास
  धूप की कनातें
पता नहीं कब की हें बातें
 
देवी के चौरे पर
चावल के दाने
अँजुरी में फूल
और दूधिया मखाने
 
होली-दीवाली की
मीठी सौगातें
पता नहीं कब की हैं बातें
 
आँगन-दालानों में
सतिये औ' छापे
पास के शिवाले के
शंख औ' पुजापे
 
चहक रहीं छत पर
गौरैया की पाँतें
पता नहीं कब की हैं बातें

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