भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अम्ल, क्षार और गीत / 'सज्जन' धर्मेन्द्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे कुछ मनमीत
अम्ल, क्षार और गीत

एक खट्टा है
दूसरा कसैला है
तीसरे में सारे स्वाद हैं

पहला गला देता है
दूसरा जला देता है
तीसरा सारे काम कर देता है

पहले दोनों को मिलाने पर
बनते हैं लवण और पानी
अर्थात खारा पानी
अर्थात आँसू
और तीनों को मिलाने पर
बन जाता हूँ मैं