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अयोध्या-1 / सुशीला पुरी
Kavita Kosh से
अयोध्या में मिलती है
टिकुली और सेनुर
टिकुली से झाँकती है
सीता की मुस्कान
सुहागिनें करतीं हैं
परिक्रमाएँ
अटल सुहाग के वास्ते
मत्तगजेन्द्र के पास
औरतें मांगती हैं
मांग की लाली
मुस्कराती हैं सीता
मंद-मंद
उनकी मुस्कान में
छिपी है अयोध्या ।