सीता रसोई
सीता की रसोई में
एक चूल्हा था वन-गमन का
आटा पति का साथ देने की सुहागिन साध का
आँख से टपकते जल से
गूँथे जाने को व्यग्र ।
अपहरण का चिमटा
अशोक-वृक्ष की लकड़ी
और अग्नि-परीक्षा की आग
धोबी के घर से भेजा गया
लोकापवाद का तवा था
अपने ही घर से निष्कासन का चकला
और बाल्मीकि आश्रम का बेलन ।
सीता की रसोई में
दो गर्भस्थ शिशुओं को
स्वावलम्बी बनाने के संकल्प की
अदृश्य चिनगारी
सीता की रसोई
क्रूर समय की पृथ्वी से निकली
और समा गई
जीवन की पृथ्वी में ।