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अरझगे हे भउजी, तोर मया म भईया अरझगे हे / छत्तीसगढ़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

ऐ भउजी..
(काये..)
एक बात काहव
(का बात ए)

रूप में फंस के मरिस पतिंगा, रस में अरझगे भौंरा हा
(अच्छा)
गंध म मछरी धुन मा हिरना, भईया बर सब्बो संघरा
(हट)

हाय अरझगे हे भउजी, तोर मया म भईया अरझगे हे
हाय अरझगे हे का या, तोर खोपा म गोंदा अरझगे हे

खेते म जाथंव, बता के जाथे ए... ए...
खेते म जाथंव, बता के जाथे
बीड़ी सिपचाहूँ कहिके लहुट आथे, हाय अरझगे हे
हाय अरझगे हे का या, तोर मया म भईया अरझगे हे
हाय अरझगे हे भउजी, तोर मया म भईया अरझगे हे

भउजी हे धीरन, भईया हे लुठुवा आहा आहा
भउजी हे धीरन, भईया हे लुठुवा
भउजी हाबे अधरतिहा भईया हे सुकुवा, हाय अरझगे हे
हाय अरझगे हे का या, तोर खोपा म गोंदा अरझगे हे
हाय अरझगे हे भउजी, तोर मया म भईया अरझगे हे

भईया के सुंता, भउजी के सुतीयां आहा हो हो
भईया के सुंता, भउजी के सुतीयां
भउजी हाबे मोर अठन्नी भईया हे रुपिया, हाय अरझगे हे
हाय अरझगे हे का या, तोर खोपा म गोंदा अरझगे हे
हाय अरझगे हे भउजी, तोर मया म भईया अरझगे हे