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अरदास / सांवर दइया
Kavita Kosh से
आभै री अणंत कोरां तांईं पूग
टाबरां खातर चुग्गो भेळो कर
सिंझ्या पाछो बावड़ सकूं घूरसाळै में
बा पांख दीजै म्हनै
जुगां सूं अंधारै में गम्योड़ा
सुखां रा मारग सोध सकूं
भावी पीढ़यां खातर,
बा आंख दीजै म्हनै
नींतर ओ मालक!
म्हैर रै नांवै
म्हैर कर र
कोई म्हैर मत करीजै
म्हारै माथै!