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अरदास / हरीश बी० शर्मा

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परमातमा
जे कीं देवणो है
तो अंधारै सूं उजात तांईं
जावणियै मारग री पिछाण दै।
एक काम दै
जिकै नैं कर‘र
मन नै शान्ति मिळ सकैं
विसवासी बणा सकै।
अर जिकै री छात नीचै
विचारणा कर सकूं आगै रा
इसो एक रैवास दै।