अरसाबाद ख़ारिज हुए हम / ज्योति रीता
उस रात के बाद की सुबह कसैली हो गई थी
हर जगह छितराव
हर बात में ग़ैरत (चुग़ली)
हर चीज़ में सड़न
हर बयान बरख़ास्तगी थी
वक्त की तरलता में हम बह निकले थे
अनायास दूसरा पहर क़स्साबी हो गया था
तुम वक्त की कतरन से एक पक्षी चुरा लाए थे
तुम कापुरुष से पुरुष हुए थे
देह से कई-कई परतें उतर रही थी
सीली जगह पर एक पौधा उग आया था
समय बीता हो जैसे
तुम्हारा आना तय था
तुम्हारा जाना तय था
कोई खाली पात्र लबालब भर दिया गया था
पात्र स्पर्श से ही कुछ बूंदें छलक पड़ी थी
कुठला में रख छोड़ा था तुम्हारा दिया प्रेम
कौतुक तुम्हारा आना भी
कौतुक तुम्हारा जाना भी
अरसाबाद ख़ारिज हुए हम
प्रेम चौपड़ हुआ
ख़्वाबगाह गड़ापे गए
प्रेमी चिड़िहार (बहेलिया) हुआ
प्रेम गतायु हुआ
प्रेमी गतांक हुआ।।
गतायु- जिसकी आयु समाप्त हो चली हो।
गतांक- पिछला अंक।