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अराधना / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो
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मैया हे!
तोरोॅ हमें करै छीं मनाओन,
ज्ञान-गृह-वासिनी हे!
साफ कमल-दल आसन
हंसोॅ के वाहन हे!
हाथ सोहै छौं वरवीण
कि हार सोहावन हे!
मैया हे!
तोरोॅ हमे चरणोॅ के दास छीं
चन्द्र-सुहासिनी हे!
ढरोॅ-ढरोॅ माय दया करी
अवगुण-मोचनी हे!
भरी दहू ज्ञानोॅ के जोत,
कि हिरदय-लोचनी हे!
मैया हे!
तोरोॅ हमे बालक अबोध छीं,
बुद्धि-प्रकाशिनी हे!
उमड़ि-घुमड़ि आबेॅ मेघ
बरसि गीत पावन हे!
भरी अंग-बिरबाँ हुलास
लहर मारेॅ सावन हे!
मैया हे!
नाच धरी नव-नव रूप
कि छन्द सवासिनीं हे!