अरे क्या करें?
लोना लगी हुई दीवारें
सेरों माटी झरें।
कोई नहीं हटाना चाहे
जगह जगह-
मकड़ी के जाले,
रोशनदान, खिड़कियाँ
सारी, बन्द द्वार-
अँधियारा पाले;
कहाँ कहाँ हम
अलख जगायें
कहाँ कहाँ अब-
दीप धरें।
अरे क्या करें?
लोना लगी हुई दीवारें
सेरों माटी झरें।
कोई नहीं हटाना चाहे
जगह जगह-
मकड़ी के जाले,
रोशनदान, खिड़कियाँ
सारी, बन्द द्वार-
अँधियारा पाले;
कहाँ कहाँ हम
अलख जगायें
कहाँ कहाँ अब-
दीप धरें।