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अरे बाप रे बाप / विनय राय ‘बबुरंग’

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केकरा पर विसवास करीं हम अरे बाप रे बाप।
बरसल लाठी निकलल हम अरे बाप रे बाप।।

जब हम गइलीं बूथ प भइया अइसन ऊठल आन्हीं
धरते झांपी भइल बवण्डर बरसे क्रोध क पानी
देखते-देखते-गिरल कपारे एगो लाठी धम अरे बाप रे बाप।।

आखिर केने भागीं भइया तनिको समझ न आवे
एहर ओहर गलियारा धइ के लगलीं प्रान बचावे
खैर मनाईं बाचल जिनिगी फाटल नाहीं बम अरे बाप रे बाप।।

ए ही बीच में आइल मलेटरी करे लागल मारच
खेद-खेद के अइसे मारे गदहा अस बेगम अरे बाप रे बाप।।

केहू लुकाइल रहर खेत में केहू फानल गड़ही
केहू क फांनत खुनी फेंकाइल एक गोड़ क पनहीं
जेही पिटाई उनका छोपाइल हरी चूरा गरम अरे बाप रे बाप।।

नेता लोग त घरे भागल आगि लगा के भइया
बीच भंवर में हमके छोड़लन बिनु पतवार क नइया
धर्म जाति क मंतर फूंकऽ नेता कुल बेसरम अरे बाप रे बाप।।

कुकुर मार अढ़ाई घरी फिर भइल ऊहे धंधा
जेकरे खातिर गांव पिटाइलभइल सवारथ में अंधा
जेकरे लाठी बूथ पर कबजा ई कइसन अधरम अरे बाप रे बाप।।

उनका खातिर गांव क बेटी बन गइली पतोहू
नाती त बाबा बनि गइलन आजा बनल केहू
साफ कहीं त काहें रउवा होखे लागीं गरम अरे बाप रे बाप।।

जब आवे चुनाव देस में कांपि जाला करेजा
झगड़ा दंगा घर घर होखे माइक फारे भेंजा
मंहगाई सवाई बढ़े दूना होखे कुकरम अरे बाप रे बाप।।

कइसो कइसो चल रहल बा लोक तंत्र क गाड़ी
दू कदम गर आगे चले त चार कदम पछाड़ी
जइसे पियले बाटे दारू सिद्ध होला बेदम अरे बाप रे बाप।।