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अरे सुनो तो / कुमार रवींद्र
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					अरे सुनो तो 
इस लड़की ने 
नया-नया आकाश छुआ है 
 
देखो, 
दमक रहा सूरज 
इसकी आँखों में 
इंद्रधनुष की पगडंडी 
इसकी साँसों में 
 
अभी उगा  
इसके सीने में 
फागुन का पहला अँखुआ है 
 
देह-राग की इसने सुनी 
अभी वंशी-धुन 
दुआ -
न व्यापें इसे 
कोई भी जग के अवगुन
 
गली-मोहल्ले के 
हर बच्चे की 
यह लड़की सगी बुआ है 
 
इसके माथे 
कल सुहाग का टीका होगा 
दुक्ख न भोगे 
जो इसकी मां ने है भोग 
 
वैसे अबका वक्त 
साधुओ 
काफी कुछ तीता-कडुआ है
	
	