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अर्जुन का सेना निरीक्षण / लोकगीता / लक्ष्मण सिंह चौहान

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समर करैले रामा दुवो दल के सेनमां हो।
डटी के तैयार जब होलै हो सांवलिया॥
तीरबा चलायके बेरिया तब अरजुन रामा।
जेकरा धुजा में हनुमान हो सांवलिया॥
धनुष उठाबैय रामा बोलैन मीठी बोलिया हो।
भगत के मिसरी में घोरी हो सांवलिया॥
‘लछुमन’ जेकर भगवान होवैय सारथी हो।
तेकरा कि मान मद डसैय हो सांवलिया॥
खड़ा करु आहो मिता! दुबो ओर सेनमा हो।
बीचे-बीच रथबा हमार हो सांवलिया॥
नरैले-भीरैले रामा ये हो रन भूमियां हो।
सचमुच कौन कौन अैले हो सांवलिया॥
एक बार चाहों जरा देखे भरी अंखिया हो।
किन किन से लरे-भीरे योग हो सांवलिया॥
कपटी, कूचाली, जीव हमरो चचेरा भाई।
दुरयोधन तरफ के के अैलैय हो सांवलिया॥
मुरखा के खातिर गमैतै प्राण रणमा में।
अंखियों से देखि तनी लेबैय हो सांवलिया॥
इतनो बचनियाँ जब सुनै य श्रीकृष्ण रामा।
रथवा जोतल घोड़ा हांकैय हो सांवलिया॥
भीषम-द्रोण आदि सब सामने के रजबा हो।
टक टक ताकैय छबि कृष्ण हो सांवलिया॥
चम चम चमकैय रामा किरीट कुण्डलवा हो।
अंखिया में तेजबा बिराजैय हो सांवलिया॥
बिमल धवल रथ के पहियो घुमल आवैय।
ठहरैय ते नैना जुड़ावैय हो सांवलिया॥
खिललो कमल सन जिन कर हथेलिया हो।
अंगुरी गुलाब सन लाल हो सांवलिया॥
ठप ठप, टाप बोलैय घोड़वो दौड़ल आवैय।
रथवा बैठल अरजुन ताकैय हो सांवलिया॥
गरदन घुमाबैय कृष्ण अंगुरी बताबैय रामा।
हँसी-हँसी सबटा बुझाबैय हो सांवलिया॥
ताकु! ताकु नैना भरि वीर अरजुन रामा।
कुरु बीर सेना के जमात हो सांवलिया॥
अरजुन देखैय रामा उन दुवो सेनमा में।
अपने चाचा, दादा, गुरु हो सांवलिया॥
मामा, भैया, बेटा, पोता, आर ओ ससुर रामा।
बालापन के मीतवा लखाबैय हो सांवलिया॥
अगुवो पीछुवो रामा निज परिवार वा हो।
देखि देखि होबैय डमा डोल हो सांवलिया॥
कोमल-मधुर-सर टूट लो कलेजवा से।
धीमे-धीमे बोलत पारथ हो सांवलिया॥