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अर्थांतरण / दिनेश कुमार शुक्ल

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कैल्शियम दूध में भी है और चट्टान में भी
हत्यारे की चाकू में भी है लोहा और मक़्तूल के खून में भी
किसी अर्थ का
कब हो जायगा अनर्थ
या लोप या विस्तार
निर्भर करेगा कि वह कहाँ
और किसके साथ है

विडम्बना कि
शब्दों के अर्थ
इन दिनों हत्यारे ही तय करते हैं