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अर्थों में अर्थ निकल आते हैं / सुनीता जैन
Kavita Kosh से
जब शब्दों में
अर्थों का जीवन
गहराता है
अर्थों में अर्थ निकल आते हैं
कुछ मूक, मुखर कुछ
तब सागर में सोई
सलिला फिर से जग जाती है
तब धरती में संचित वर्षा
फिर सलिला हो जाती है
तब अन्तर के किसी कोर में
खेती फिर उग आती है