इस अनोखी कविता से
अब अधिक पलायन
नहीं कर सकती मैं
जिसमें हर बात
विवादास्पद है ।
कहाँ वाम
और कहाँ दक्षिण
गहरे अर्थ-अनर्थ हैं
और झरे पत्तों की तरह है
क़दमों के नीचे
मेरी ख्याति ।
1944
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजा खुगशाल
इस अनोखी कविता से
अब अधिक पलायन
नहीं कर सकती मैं
जिसमें हर बात
विवादास्पद है ।
कहाँ वाम
और कहाँ दक्षिण
गहरे अर्थ-अनर्थ हैं
और झरे पत्तों की तरह है
क़दमों के नीचे
मेरी ख्याति ।
1944
अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजा खुगशाल