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अर्थ खोते शब्दों को बचाओ / शैलेन्द्र शान्त
Kavita Kosh से
इतने तो अविश्वसनीय
न हुए थे कभी
अर्थहीन न हुए थे
न हुए थे कभी
इतने बेअसर
बुजदिल न हुए थे
बेअसर-बीमार न हुए थे
न हुए थे इतने हल्के
बेशर्मी में न हुए थे
इतने अव्वल
बचाओ, ऐ शब्दकारो!
अर्थ खोते शब्दों को बचाओ!